मंगलवार, 2 जुलाई 2024

*विल्वमंगलजी की पद्य टीका*

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*माया मति चकचाल कर,*
*चंचल कीये जीव ।*
*माया माते मद पिया, दादू बिसर्या पीव ॥*
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*सौजन्य ~ #भक्तमाल*, *रचनाकार ~ स्वामी राघवदास जी,*
*टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान*
*साभार ~ श्री दादू दयालु महासभा*, *साभार विद्युत संस्करण ~ रमा लाठ*
*मार्गदर्शक ~ @Mahamandleshwar Purushotam Swami*
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*विल्वमंगलजी की पद्य टीका*
इन्दव-
*ब्राह्मण बुद्ध१ रहै कृसना तट,*
*पाय चिन्तामणि बुद्धि बही२ है ।*
*लाज तजी हिय राज भयो उस,*
*रैनि दिनै उत जात सही है ॥*
*तात कनागत३ साधि४ रह्यो चित,*
*शेष रहै दिन चालत ही है ।*
*नीर चढ्यो सलिता निशि नाव न,*
*हेत घणो दुख पाय कही है ॥४०७॥*
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दक्षिण देश में कृष्णवीणा नदी के तट एक ग्राम में रामदास नामक भगवद्भक्त ब्राह्मण निवास करते थे । उन्हीं के पुत्र विल्वमंगल हुए हैं । पिता ने धर्मशास्त्रादि की शिक्षा दी थी । पिता की शिक्षा और भक्ति भाव से विल्वमंगल छोटी अवस्था में ही अच्छे विद्वान१, शांत और श्रद्धावान् हो गये थे ।
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दैवयोग से माता पिता का देहान्त हो गया । घर की सब सम्पत्ति पर इनका अधिकार हो गया । फिर ये कुमित्रों के संग में पड़ गये । एक दिन ग्राम में चिन्तामणि वेश्या का नृत्य था । मित्रों के साथ विल्वमंगल भी वहाँ गये । चिन्तामणि को देखकर इनकी बुद्धि चंचल२ हो गई ।
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इनने लज्जा त्याग दी । अब इनके हृदय में चिन्तामणि का ही राज्य हो गया । इनने अपना सर्वस्व चिन्तामणि पर ही निछावर कर दिया । निश्चय ही इनके रात दिन चिन्तामणि के घर ही व्यतीत होने लगे ।
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श्राद्धपक्ष में विल्वमंगल के पिता के श्राद्ध३ का दिन था । इससे ये आज नदी के उस पार चिन्तामणि के घर नहीं जा सके । ये शरीर से श्राद्ध के कार्यों को सिद्ध४ करने में लगे हुये थे । किन्तु इनका चित्त चिन्तामणि में लग रहा था । जैसे तैसे श्राद्ध का काम पूरा हुआ । अब दिन थोड़ा ही शेष रहा था । जब ये चिन्तामणि के जाने लगे तब संध्या हो गई थी ।
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लोगों ने समझाया, आज पिता के श्राद्ध का दिन है । वेश्या के नहीं जा जाना चाहिये । इनके इनका हृदय तो धर्म-कर्म से शून्य हो चुका था । समझाने का कोई फल नहीं हुआ । जाने में और अधिक देर हो गई । वे चलकर नदी के तट पर आये तो नदी का जल बहुत बढ़ा हुआ था । रात्रि का समय होने से तट पर कोई नौका भी नहीं थी । तो भी चिन्तामणि से अति प्रेम होने से अति दुखी होकर अपने मन में कहने लगे .....
(क्रमशः)

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