बुधवार, 25 सितंबर 2024

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*नदियाँ नीर उलंघ कर, दरिया पैली पार ।*
*दादू सुन्दरी सो भली, जाइ मिले भरतार ॥*
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*साभार ~ @Subhash Jain*
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*स्त्रियां बहुत अद्भुत रुप से,गहन रुप से श्रेष्ठतम रूप से शिष्य बन सकती हैं*
जीसस को जिस दिन सूली लगी, उस दिन सारे पुरुष छोड़ कर चले गए। जिन्होंने जीसस को सूली से उतारा, वे दो स्त्रियां थीं। यह बड़ी मजे की बात है मैरी मेग्दलीन एक वैश्या थी, उसकी वजह से ही जीसस को बहुत परेशानियां झेलनी पड़ीं। क्योंकि लोगों ने कहा कि जीसस जैसा महापुरुष और मैरी मेग्दलीन के घर रुक जाए- वैश्या के घर ! तो समाज की नीति, आचार को बड़ा धक्का लगा था।
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जिन शिष्यों ने जीसस से कहा था कि इस मैरी मेग्दलीन को छोड़ दें, इस एक के पीछे अकारण हमारे विचार को नुकसान पहुंच रहा है। तो जीसस मुस्कुराए थे कुछ बोले नहीं थे। और जिस रात जीसस पकड़े गए उस रात वही शिष्य जिन्होंने कहा था मैरी मेग्दलीन को हटा दें मार्ग से, इसके पीछे विचार को नुकसान पहुंचता है तो जीसस ने कहा था सुबह होने के पहले इसके पहले की मुर्गा बांग दे तुम सब मुझे छोड़कर चले जाओगे। और जिसे तुम छोड़ने को कह रहे हो वही भर शेष रह जाएगी।
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और ऐसा हुआ जिस रात जीसस पकड़े गए और जब दुश्मन उन्हें ले जाने लगे, तो उनका एक शिष्य ल्यूक पीछे-पीछे भीड़ में हो लिया; बाकी सब तो हट गए। क्योंकि खतरा था उनकी जान का भी। एक ल्यूक पीछे-पीछे हो लिया। दुश्मनों ने देखा कि कोई एक अजनबी आदमी हमारे बीच है। उन्होंने पूछा कि तू कौन है? तू जीसस का साथी तो नहीं, तो ल्यूक ने कहा कौन जीसस ? मैं तो पहचानता भी नहीं। जीसस ने पीछे मुड़कर-उनके हाथ बंधे थे और दुश्मन उन्हें पकड़े हुए थे- पीछे मुड़कर कहा सुन अभी तो मुर्गे ने बांग भी नहीं दी और तूने एक दफे इंकार कर दिया। सूली से जिस स्त्री ने उतारा वह मेग्दलीन थी।
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शिष्यत्व की जिस ऊंचाई पर स्त्रियां पहुंच सकती हैं, पुरुष नहीं पहुंच सकते। क्योंकि निकटता की जिस ऊंचाई पर स्त्रियां पहुंच सकती हैं, पुरुष नहीं पहुंच सकता- स्वीकार की, समर्पण की। पर शिष्याओं के नाम तो बहुत जाहिर नहीं हो सकते हैं। शिष्य आखिर शिष्य है। नाम तो गुरुओं के ही होंगे।
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और चूंकि स्त्रियां बहुत अद्भुत रूप से,गहन रूप से श्रेष्ठतम रूप से शिष्य बन सकती हैं। इसलिए गुरु नहीं बन सकतीं, क्योंकि शिष्य का जो गुण है वही गुरु के लिए बाधा है। गुरु को तो आक्रमक होना पड़ेगा। गुरु तो शिष्यों को मिटाएगा, तोड़ेगा, नष्ट करेगा। वह स्त्री के बस की बात नहीं है। स्त्री बना सकती है, ग्रहण कर सकती है, संभाल सकती है, बीज को अपने भीतर आरोपित करके गर्भ बना सकती है, जन्म दे सकती है।
ओशो

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