🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
🌷 *#श्रीरामकृष्ण०वचनामृत* 🌷
*https://www.facebook.com/DADUVANI*
*दादू माहैं मीठा हेत करि, ऊपर कड़वा राख ।*
*सतगुरु सिष कौं सीख दे, सब साधों की साख ॥*
.
साभार ~ श्री महेन्द्रनाथ गुप्त(बंगाली), कवि श्री पं. सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’(हिंदी अनुवाद)
साभार विद्युत् संस्करण ~ रमा लाठ
==============
*परिच्छेद २*
*सुरेन्द्र के मकान पर श्रीरामकृष्ण(१)*
.
राम, मनोमोहन, त्रैलोक्य तथा महेन्द्र गोस्वामी आदि के साथ आज श्रीरामकृष्ण भक्तों के साथ सुरेन्द्र के घर पधारे हैं । १८८१ ई., आषाढ़ महीना है । सन्ध्या होनेवाली है । श्रीरामकृष्ण ने इसके कुछ देर पहले श्री मनोमोहन के मकान पर थोड़ी देर विश्राम किया था ।
.
सुरेन्द्र के दूसरे मँजले के बैठकघर में अनेक भक्तगण बैठे हुए हैं । महेन्द्र गोस्वामी, भोलानाथ पाल आदि पड़ोसी भक्तगण उपस्थित हैं । श्री केशव सेन आनेवाले थे, परन्तु आ न सके । ब्राह्मसमाज के श्री त्रैलोक्य सान्याल तथा अन्य कुछ ब्राह्म भक्त आये हैं ।
.
बैठकघर में दरी और चद्दर बिछायी गयी है - उस पर एक सुन्दर गलीचा तथा तकिया भी है । श्रीरामकृष्ण को ले जाकर सुरेन्द्र ने उसी गलीचे पर बैठने के लिए अनुरोध किया ।
श्रीरामकृष्ण कह रहे हैं, “यह तुम्हारी कैसी बात है ?" ऐसा कहकर महेन्द्र गोस्वामी के पास बैठ गये ।
महेन्द्र गोस्वामी - (भक्तों के प्रति ) - मैं इनके (श्रीरामकृष्ण के) पास कई महीनों तक प्रायः सदा ही रहता था । ऐसा महान् व्यक्ति मैंने कभी नहीं देखा । इनके भाव साधारण नहीं हैं ।
.
श्रीरामकृष्ण - (गोस्वामी के प्रति) - यह सब तुम्हारी कैसी बात है ? मैं छोटे से छोटा, दीन से भी दीन हूँ । मैं प्रभु के दासों का दास हूँ । कृष्ण ही महान् हैं ।
"जो अखण्ड सच्चिदानन्द हैं, वे ही श्रीकृष्ण हैं । दूर से देखने पर समुद्र नीला दिखता है, पर पास जाओ तो कोई रंग नहीं । जो सगुण हैं, वे ही निर्गुण हैं । जिनका नित्य है, उन्हीं की लीला है ।
.
"श्रीकृष्ण त्रिभंग क्यों हैं ? - राधा के प्रेम से ।
"जो ब्रह्म हैं, वे ही काली, आद्याशक्ति हैं, सृष्टि-स्थिति-प्रलय कर रहे हैं । जो कृष्ण हैं, वे ही काली हैं ।
"मूल एक है - यह सब उन्हीं का खेल है, उन्हीं की लीला है ।
"उनका दर्शन किया जा सकता है । शुद्ध मन, शुद्ध बुद्धि से उनका दर्शन किया जा सकता है । कामिनी-कांचन में आसक्ति रहने से मन मैला हो जाता है ।
.
"मन पर ही सब कुछ निर्भर है । मन धोबी के यहाँ का धुला हुआ कपड़ा जैसा है; जिस रंग में रँगवाओगे उसी रंग की हो जायगा । मन से ही ज्ञानी, और मन से ही अज्ञानी है । जब तुम कहते हो कि अमुक आदमी खराब हो गया है, तो अर्थ यही है कि उस आदमी के मन में खराब रंग आ गया है ।"
.
सुरेन्द्र माला लेकर श्रीरामकृष्ण को पहनाने आये । पर उन्होंने माला हाथ में ले ली, और फेंककर एक ओर रख दी । इससे सुरेन्द्र के अभिमान में धक्का लगा और उनकी आँखें डबडबा गयीं । सुरेन्द्र पश्चिम के बरामदे में जाकर बैठे - साथ राम तथा मनोमोहन आदि हैं ।
.
सुरेन्द्र प्रेमकोप करके कह रहे हैं, “मुझे क्रोध हुआ है; राढ़ देश का ब्राह्मण है, इन चीजों की कद्र क्या जाने ? कई रुपये खर्च करके यह माला लायी । मैं गुस्से में आकर कह बैठा ‘और सब मालाएँ दूसरों के गले में डाल दो ।’
"अब समझ रहा हूँ मेरा अपराध, भगवान पैसे से खरीदे नहीं जा सकते । वे अहंकारी के नहीं हैं । मैं अहंकारी हूँ, मेरी पूजा क्यों लेने लगे ? मेरी अब जीने की इच्छा नहीं है ।"
कहते कहते आँसू की धाराएँ उनके गालों और छाती पर से बहती हुई नीचे गिरने लगीं ।
.
इधर कमरे के अन्दर त्रैलोक्य गाना गा रहे हैं । श्रीरामकृष्ण मतवाले होकर नृत्य कर रहे हैं । जिस माला को उन्होंने फेंक दिया था, उसी को उठाकर गले में पहन लिया । वे एक हाथ से माला पकड़कर तथा दूसरे हाथ से उसे हिलाते हुए गाना गा रहे हैं और नृत्य कर रहे हैं ।
सुरेन्द्र यह देखकर कि श्रीरामकृष्ण गले में उसी माला को पहनकर नाच रहे हैं, आनन्द में विभोर हो गये । मन ही मन कह रहे हैं, 'भगवान गर्व का हरण करनेवाले हैं । जरूर, परन्तु (दीनों के, निर्धनों के धन भी हैं) !"
.
श्रीरामकृष्ण अब स्वयं गाने लगे, -
गाना - (भावार्थ) –
"हरिनाम लेते हुए जिनकी आँखों से आँसू बहते हैं, वे दोनो भाई आये हैं ! - वे, जो मार खाकर प्रेम देते हैं, जो स्वयं मतवाले बनकर जगत् को मतवाला बनाते हैं, जो चाण्डाल तक को गोद में ले लेते हैं, जो दोनों ब्रज के कन्हैया-बलराम ।"
अनेक भक्त श्रीरामकृष्ण के साथ-साथ नृत्य कर रहे हैं ।
.
कीर्तन समाप्त होने पर सभी बैठ गये और ईश्वर की बातें करने लगे ।
श्रीरामकृष्ण सुरेन्द्र से कह रहे हैं, "मुझे कुछ खिलाओगे नहीं ?"
यह कहकर वे उठकर घर के भीतर चले गये । स्त्रियों ने आकर भूमिष्ठ हो भक्तिभाव से उन्हें प्रणाम किया ।
भोजन करने के बाद थोड़ी देर विश्राम करके वे दक्षिणेश्वर लौट आये ।
(क्रमशः)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें