सोमवार, 7 अप्रैल 2025

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*दादू सब ही गुरु किए, पशु पंखी बनराइ ।*
*तीन लोक गुण पंच सौं, सबही मांहिं खुद आइ ॥*
*साभार ~ @Kaushik Chaitanya*

🪷 *||प्रकृति एक पाठशाला ||* 🪷
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प्रकृति का कण-कण मनुष्य जीवन को एक प्रेरणा प्रदान करता है।
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ये संपूर्ण प्रकृति एक पाठशाला ही तो है। बिना प्रेरणा लिए जीवन प्रेरक नहीं बन सकता है।
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हम दूसरों को प्रेरणा दें उससे पूर्व यह आवश्यक हो जाता है कि हम दूसरों से प्रेरणा लेना भी सीखें।
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जिसने अपने जीवन में दूसरों से प्रेरणा लेने का प्रयास किया उसका स्वयं का जीवन भी एक दिन समाज के लिए प्रेरणास्रोत बन जाता है।
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प्रेरणा पर्वत से लेनी चाहिए जिसके मार्ग में अनेक आंधी और तूफान आते हैं पर उसके स्वाभिमानी मस्तक को नहीं झुका पाते।
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प्रेरणा लहरों से लेनी चाहिए जो गिरकर फिर उठ जाती हैं और अपने लक्ष्य तक पहुँचे बिना कहीं रुकती नहीं हैं।
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प्रेरणा बादलों से लेनी चाहिये जो समुद्र से जल लेते हैं और सूखे रेगिस्तान में बरसा देते हैं।
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प्रेरणा वृक्षों से लेनी चाहिए, फल लग जाने के बाद जिनकी डालियाँ स्वतः झुक जाया करती हैं

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