*🌷🙏🇮🇳 #daduji 🇮🇳🙏🌷*
*🌷🙏 卐 सत्यराम सा 卐 🙏🌷*
*दादू सरवर सहज का, तामें प्रेम तरंग ।*
*तहँ मन झूलै आत्मा, अपणे सांई संग ॥*
*साभार ~ @Krishna Krishna*
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*"इश्क़ और प्रेम – ये दो शब्द दिखने में पास-पास लगते हैं,लेकिन इनके बीच की दूरी उतनी ही है जितनी सतह और गहराई में होती है।* इश्क़ बाहर की यात्रा है – आँखों से शुरू होती है, कल्पनाओं में भटकती है, और आकांक्षाओं में उलझ जाती है। इश्क़ में चाह होती है – किसी को पाने की, किसी को बाँधने की, और जहां चाह होती है, वहाँ भय भी होता है – खो देने का। इसीलिए इश्क़ बेचैन करता है, थका देता है।
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लेकिन प्रेम... प्रेम भीतर की यात्रा है। प्रेम में पाने का कोई आग्रह नहीं, प्रेम में बस बहाव है – देना, और फिर भी खाली न होना। प्रेम आत्मा का संगीत है – जो शब्दों से परे है। प्रेम में तुम दूसरे को नहीं, खुद को मिटा देते हो। और वही मिट जाना – मिल जाना बन जाता है। इश्क़ में तुम किसी और में खुद को देखना चाहते हो, प्रेम में तुम खुद को भूल जाते हो – और वही भूलना, ध्यान है।
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*जब इश्क़ जागरूकता में रूपांतरित हो जाता है,तो वह प्रेम बन जाता है।और प्रेम... प्रेम तो परमात्मा की सुगंध है।"*
~ओशो 💞💞
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