*🌷🙏🇮🇳 #daduji 🇮🇳🙏🌷*
*🌷🙏 卐 सत्यराम सा 卐 🙏🌷*
*दादू निराकार मन सुरति सौं, प्रेम प्रीति सौं सेव ।*
*जे पूजे आकार को, तो साधु प्रत्यक्ष देव ॥*
*साभार ~ @Subhash Jain*
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समस्त जीव ही नतमस्तक थे ऐसे बाबा मीणा संत "बाबा मल्ला" इन्हें जहाज़ वाले बाबा के नाम से जाना जाता है यह स्थान टहला क्षेत्र में पहाड़ों के बीचों-बीच में स्थित है !!
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मीना समाज के सिध्द संत थे 'बाबा मल्ला' बाबा का जन्म ग्राम - अलीपुर, तह.- बजूपाडा, ज़िला - दौसा में हुआ था और इन्होने जारवाल गोत्र में जन्म लिया, बाबा ने गृहस्थ जीवन को अपनाया और इनके बच्चे भी थे फिर जब इनके मन में बैराग उत्पन्न हुआ तो इन्होने बाणगंगा नदी के पास तपस्या की थी फिर सरिस्का के घने जंगलों में चले गए थे !!
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जानकार लोग बताते है कि शेर तो इनकी सुरक्षा करते थे और जब ये सो जाते थे तो शेर आकर इनके तलवे चाटा करते थे शेर इनकी आवाज़ सुनकर दौडे चले आते थे !!
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ये बाबा अपने आश्रम में आने वालो की सारी बातें पहले ही जान लेते थे ये बहुत बड़े 'माइंड रीडर' थे, बताते है कि इनके भंडारे में कभी माल खत्म नही होता था चाहे कितने भी लोग प्रसाद ग्रहण कर ले इनके छूने के बाद वहाँ पर कड़ाई में पानी डालकर पुए उतारे जाते थे और वे बेहद ही स्वादिष्ट बनते थे !!
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जब ये अंतर्ध्यान हुए तो वहाँ के जानवर बहुत बैचेंन हो गए थे और गाय,शेर आदि जंगली जानवर उन्हें आवाज़ दे दे कर पुकारते रहे थे काफी दिनों तक !!
मल्ला बाबा जैसे महान संत का जन्म मीणा वंश में हुआ जिससे पूरा मीणा समाज गर्व महसूस करता है तथा समस्त मीणा समाज कोटि कोटि नमन करता हूँ !!
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