*#daduji*
*॥ श्री दादूदयालवे नम: ॥*
*॥ दादूराम~सत्यराम ॥*
*"श्री दादू पंथ परिचय" = रचना = संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान =*
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७ आचार्य चैनराम जी ~
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फिर कृपारामजी भंडारी ने भी समाज के सज्जनों से यही अनुरोध किया कि चैनरामजी के नारायणा दादूधाम में पधारने पर ही समाज में शांति सुख का विस्तार हो सकेगा । अत: उनको लाना ही चाहिये । गंगारामजी ने मान लिया कि चैनरामजी के पधारने पर मैं गद्दी त्याग दूंगा ।
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फिर उत्तराधे आदि को भी सूचना दे दी गई कि - हम सब चैनरामजी को नारायणा लाने में एक मत हैं । हमारे समझ में आ गया है कि “एक राजी आनन्द है” “दो राजी दुख द्वन्द्व में, सुखी न बैसे कोई ।” अत: समाज का भेद भ्रांति जन्य विग्रह अब शीघ्र ही मिटाना आवश्यक है । हम मुख्य मुख्य व्यक्ति मेडता आ रहे हैं । आप लोग भी मेडता पधारें ।
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यह सूचना मिलते ही करडाला में स्थित सभी संतों को परमानन्द हुआ और उन सब ने हृदय से स्वीकार कर लिया कि - यह दादूजी महाराज से प्रार्थना करने का ही फल है । दादूजी महाराज ने उनके हृदयों में प्रेरणा की है, तब ही उनके मन में ऐसी भावना उत्पन्न हुई है । अब हम को भी मेडता चलना चाहिये ।
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यह निश्चय करके वे सब करडाला से मेडता आ गये । उधर से कृपाराम जी भंडारी आदि भी मेडता आ गये । सत्यराम करके सब मिलकर परस्पर प्रेम से बातें की और सबने मिलकर यही निश्चय किया कि चैनराम जी महाराज को अब शीघ्र ही दादूधाम नारायणा में ले चलना चाहिये ।
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फिर चैनरामजी महाराज के पास गये, दंडवत सत्यराम करके सबने प्रार्थना की कि अब शीघ्र ही नारायणा दादूधाम में पधारे । आपके पधारने से ही समाज में पूर्ण सुख शांति हो सकेगी । ऐसी ही हम सब का विचार है और इस समय आपको नारायणा दादूधाम पर ले जाने में सब समाज एक मत है । अत: आप पधारने की कृपा अवश्य करें ।
(क्रमशः)
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