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*॥ श्री दादूदयालवे नम: ॥*
*॥ श्री दादूदयालवे नम: ॥*
*॥ दादूराम~सत्यराम ॥*
*"श्री दादू पंथ परिचय" = रचना = संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान =*
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८ आचार्य निर्भयरामजी
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भंडारी टीकमदास जी को वर देना ~
भंडारी टीकमदास जी जब अधिक बीमार हो गये तब आचार्य निर्भयरामजी उनके पास गये और पूछा - आपकी क्या इच्छा है ? भंडारी टीकमदासजी ने कहा - महाराज मेरी तो यही इच्छा है कि - मैं प्रतिक्षण आपकी सेवा में लगा रहूँ और आपकी दृष्टि के नीचे ही रहूं ।
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तब आचार्य निर्भयरामजी महाराज ने कहा - तुम प्रतिक्षण मेरे पास ही रहोगे । फिर वि. सं. १८६८ कार्तिक कृष्ण ५ को भंडारी टीकमदासजी का देहान्त राजगढ में ही हो गया । राजगढ में आचार्य निर्भयरामजी ने भंडारी टीकमदासजी की स्मृति में एक तिबारा और एक कुई बनवाई थी ।
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वह कुई मनीकुई के नाम से अद्यापिस्थित है । और नारायणा दादूधाम में कुवा पर आचार्यों की स्मारक छत्रियों के सामने भंडारी टीकमदासजी की स्मारक छत्री बनवाई थी । इस प्रकार निर्भयरामजी महाराज ने अपने भक्त तथा गुरु भाई का सम्मान किया था ।
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जयपुर नरेश जगतसिंह से भेंट ~
वि. सं. १८६९ में चैत्र सुदी ७ को जयपुर नरेश जगतसिंह जी को आचार्य निर्भयरामजी के अकस्मात् दर्शन हो गये थे । उस समय जगतसिंहजी ने आचार्य जी को एक मोहर भेंट की थी । वे अधिक ठहर नहीं सके थे । किसी कार्यवश उनका शीघ्र ही नियत समय पर नियत स्थान पर पहुँचना था । किन्तु मार्ग में आचार्य जी का नाम सुनकर दर्शन करने ही आ गये थे ।
(क्रमशः)

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