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*॥ श्री दादूदयालवे नम: ॥*
*॥ श्री दादूदयालवे नम: ॥*
*॥ दादूराम~सत्यराम ॥*
*"श्री दादू पंथ परिचय" = रचना = संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान =*
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१० आचार्य दिलेराम जी
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जहाज तारना ~
आचार्य दिलेरामजी महाराज एक दिन ध्यान में स्थित थे । उसी समय उनको एक अपने भक्त की आर्त प्रार्थना सुनाई दी । प्रार्थना करने वाला रामगढ का सेठ ज्वाला प्रसाद अग्रवाल था । उसका माल से भरा जहाज किसी कारण से डूबने लगा था । उसी में ज्वाला प्रसाद भी था । उसे डूबने से बचाने के उपाय थे, सो सब कर लिये गये थे किन्तु उन उपायों से जहाज बचने की आशा नहीं बँधी ।
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जहाज चलाने वाले लोगों ने जिन देवताओं को मनाने की बात सुनाई उनको भी मनाया किन्तु जहाज नहीं बच रहा था, उसके डूबने के चिन्ह ही बढते जा रहे थे । ज्वाला प्रसाद आचार्य दिलेराम जी महाराज पर बहुत श्रद्धा रखता था और उनकी अद्भुत महिमा भी जानता था तथा कुछ प्रत्यक्ष देख भी चुका था ।
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अत: उसने आचार्य दिलेरामजी महाराज से आर्त स्वर में प्रार्थना करी - हे आचार्य दिलेराम जी महाराज ! मैं आपकी शरण हूँ, मेरे इस जहाज को डूबने से बचाइये । इसके डूबने से होने वाले घोर संकट से मेरी रक्षा कीजिये । इस के डूबने से मेरा सर्वस्व नष्ट हो जायगा और में भयंकर विपत्ति में पड जाऊगां ।
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कृपा करिये मेरे इस जहाज को तारिये । ज्वाला प्रसाद को घोर संकट में तथा अपनी शरण आया जानकर आचार्य दिलेराम जी ने अपने ध्यान में परमात्मा से जहाज तारने के लिये प्रार्थना की । परमात्मा ने अपने परम भक्त की प्रार्थना सुनकर उस जहाज को तार दिया ।
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कहा भी है -
दिलेरामजी महाराज जी गादी बैठा जाय ।
अगरवाला सेठ का, त्यारा जहाज सुभाय ॥
(दौलतराम)
सुन्दरोदय में भी कहा है -
“स्वामी श्री दिलेरामजी, तारी जहाज समुंद ।”
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अर्थात् ज्वाला प्रसाद अग्रवाल सेठ के सुन्दर भाव को देखकर उसका जहाज आचार्य दिलेराम जी ने गादी पर बैठे हुये ही प्रभु से प्रार्थना करके तथा अपने सुरती रुप शरीर से समुद्र में जाकर तार दिया था । फिर सेठ का जहाज आनन्द से समुद्र से पार हो गया । घर जाकर सेठ ने बहुत सा धन लेकर नारायणा दादूधाम की यात्रा के लिये प्रस्थान किया ।
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दादूद्वारे में जाकर आचार्य दिलेरामजी के दर्शन करने गया । दर्शन करके भेंट चढाकर सत्यराम बोलने हुये साष्टांग दंडवत की फिर हाथ जोडकर आचार्यजी के सामने बैठ गया फिर अपने जहाज की रक्षा की घटना सुनाते हुये सबको कहा - जहाज डूबता देखकर आचार्य दिलेराम जी महाराज से मैंने प्रार्थना की थी कि रक्षा करो तब आपसे जहाज पर दर्शन देकर कहा - भय मत करो, भगवत् कृपा से तुम्हारा जहाज अब नहीं डूबेगा ।
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सबने कहा - उस समय तो महाराज यहां ही थे किन्तु सेठ भी कहता था कि - उस समय जहाज पर मैंने दर्शन किये थे । अत: कुछ संतों ने आचार्यजी से पूछा कि भक्त कहता है कि आचार्यजी ने जहाज पर दर्शन दिये थे, यह सत्य है क्या ? आचार्यजी ने कहा - सत्य ही है । फिर संत समझ गये कि महाराज अपनी योग शक्ति से दूसरा देह धारण करके जहाज पर पधारे होंगे । योगियों के लिये यह कोई बात नहीं है ।
(क्रमशः)

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