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*॥ श्री दादूदयालवे नम: ॥*
*॥ श्री दादूदयालवे नम: ॥*
*॥ दादूराम~सत्यराम ॥*
*"श्री दादू पंथ परिचय" = रचना = संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान =*
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१० आचार्य दिलेराम जी
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सवाई माधोपुर चातुर्मास ~
वि. सं. १८९३ में गोविन्ददासजी ने सवाई माधोपुर में चातुर्मास कराया । वह चातुर्मास भी अच्छा हुआ । सत्संग आदि में धार्मिक जनता ने बडी ही सुरुचि से भाग लिया । अंत में आचार्यजी के सहित सब संतों का भी अच्छा सत्कार करके विदा किया ।
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सांमलपुरा का कर माफ ~
वि. सं. १८९४ में जयपुर नरेश जी सांमलपुरा ग्राम का ५०) रु. वार्षिक कर लेते थे, उसे इस वर्ष जयपुर नरेश द्वारा स्वयं ही पट्टा लिखकर छोड दिया गया और छूटका पट्टा नारायणा दादूधाम में आचार्यजी के पास भेज दिया गया ।
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अन्यान्य चातुर्मास ~
१८९४ में रामधनजी मारोठियों के चातुर्मास किया । रामधनजी रुपनगढ के निवासी थे । अत: यह चातुर्मास रुपनगढ ही हुआ होगा । इसी वर्ष आचार्यजी का स्वास्थ्य शिथिल हो गया था । अत: आचार्यजी ने अपने ज्येष्ठ शिष्य रामबगसजी को उनकी इच्छा न होने पर भी अपना उत्तराधिकारी बनाकर पूजा बांट दी थी । वि. सं. १८९५ में नरोत्तमदासजी के भिडवाडा में चातुर्मास किया । वि. सं. १८९६ में उग्रावास में नारायणदासजी के चातुर्मास किया गया । वह चातुर्मास भी अच्छा रहा ।
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खेतडी व सीतामऊ नरेशों का आना ~
वि. सं. १८९६ में ही खेतडी नरेश तथा सीतामऊ नरेश आचार्य दिलेरामजी के दर्शन करने नारायणा दादूधाम में आये । दोनों नरेशों ने अति प्रेम से आचार्यजी को भेंट रखकर प्रणाम किया फिर सामने बैठकर सत्संग किया । दोनों नरेशों ने एक एक दिन सब संतों के सहित आचार्यजी को रसोई दी और आचार्यजी के सहित सभी संतों का वस्त्र भेंट आदि के द्वारा बहुत सत्कार किया ।
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तथा सदाव्रत के लिये भी दोनों ने ही धन दिया था । दोनों नरेश नारायणा दादूधाम, आचार्यजी तथा सब संतों का दर्शन, सत्संग करके अति प्रसन्न हुये । इसी प्रकार अन्य नरेश भी समय - समय पर आते ही रहते थे और सभी दादूधाम तथा संतों के दर्शन से आनन्द ही मिलता था ।
(क्रमशः)

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