"श्री दादूदयाल वाणी(आत्म-दर्शन)"
टीका ~ महामण्डलेश्वर ब्रह्मनिष्ठ पंडित श्री स्वामी भूरादास जी
टीका ~ महामण्डलेश्वर ब्रह्मनिष्ठ पंडित श्री स्वामी भूरादास जी
साभार विद्युत संस्करण ~ गुरुवर्य महामंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमाराम जी महाराज
.
*= स्मरण का अंग - २ =*
.
*दादू राम कहे सब रहत है, आदि अंति लौं सोइ ।*
*राम कहे बिन जात है, यहु मन बहुरि न होइ ॥४९॥*
दादूजी कहते हैं - राम-भजन से ही मनुष्य का जन्म से मरण पर्यन्त जीवन सफल होता है । क्योंकि आदि अन्त कहिए, इस लोक और परलोक में यह एक राम का भजन ही सुख और दु:ख में साथ रहेगा । हे मन ! राम-भजन के बिना यह तेरा जीवन निष्फल ही जा रहा है । इसलिए हे जिज्ञासुओ ! अपने मन को सावधान करके राम के भजन में लगाओ ॥४९॥
.
*दादू राम कहे सब रहत है, जीव ब्रह्म की लार ।*
*राम कहे बिन जात है, रे मन हो होशियार ॥५०*
हे मन ! तूं सावधान अर्थात् साधन सम्पन्न होकर राम-नाम का स्मरण कर, क्योंकि राम-नाम के प्रभाव से ही यह जीवात्मा ब्रह्मस्वरूप होता है । जिसके प्रभाव से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष जीवात्मा की आज्ञा में वर्तते हैं और राम-नाम का स्मरण किये बिना ये सब जीवात्मा का साथ छोड़ देते हैं । इसलिए हे जिज्ञासुओ ! अपने मन को स्थिर करके परमेश्वर का भजन करो ॥५०॥
(क्रमशः)
(क्रमशः)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें