रविवार, 13 अक्टूबर 2013

= जीवित मृतक का अंग २३ =(१९/२०)

॥ दादूराम सत्यराम ॥
*"श्री दादूदयाल वाणी(आत्म-दर्शन)"*
टीका ~ महामण्डलेश्वर ब्रह्मनिष्ठ पंडित श्री स्वामी भूरादास जी
साभार विद्युत संस्करण ~ गुरुवर्य महामंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमाराम जी महाराज
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*जीवित मृतक का अंग २३*
*दादू मारग साधु का, खरा दुहेला जान ।*
*जीवित मृतक ह्वै चलै, राम नाम नीशान ॥१९॥*
टीका ~ हे जिज्ञासुओं ! संतों का मार्ग कहिये, साधना सत्य है । परन्तु इस पर कोई उत्तम मुमुक्षु ही चलता है । जीता ही मृतक तुल्य कहिए चेष्टा रहित होगा, वही धर्मध्वज, राम का प्रतीक नाम - स्मरण, हृदय में धारण करके राम का साक्षात्कार करेगा ॥१९॥
कबीर खरी कसौटी राम की, खोटा टिकै कोइ । 
राम कसौटी सो टिकै, जे जीवत मृतक होइ ॥
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*दादू मारग कठिन है, जीवित चलै न कोइ ।*
*सोई चलि है बापुरा, जो जीवित मृतक होइ ॥२०॥*
टीका ~ हे जिज्ञासुओं ! परमेश्‍वर की प्राप्ति का मार्ग अति कठिन है । कोई सांसारिक वासनाओं को लेकर चलना चाहे तो नहीं चल सकता । वही उत्तम साधक चलेगा, जिसने देह अध्यास का त्याग किया है ॥२०॥
जब तक देहाध्यास है, तब लग भक्ति न होइ । 
राम भक्ति सो करैगा, जिन तन मन डारा धोइ ॥
(क्रमशः)

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