#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
*दादू सेवक सांई का भया, तब सेवक का सब कोइ ।*
*सेवक सांई को मिल्या, तब सांई सरीखा होइ ॥*
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साभार ~ चन्द्र प्रकाश शर्मा
दोस्ती ~
एक बार दूध ने पानी से कहा "आओ तुम मुझसे मित्रता करलो ओर मेरे मित्र बन जाओ."
पानी ने कहा "नहीं मैं तुम्हारी मित्रता के काबिल नहीं. कहाँ आप श्रेष्ठ और बड़े ओर कहाँ में निम्न स्तर का मात्र पानी."
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दूध ने पानी से मित्रता करने की कई मिन्नतें की ओर आखिर पानी दूध से दोस्ती करने के लिये राजी हो गया अर्थात एक बड़े ने एक श्रेष्ठ ने एक तुछ ओर अपने से छोटे को अपना मित्र बना कर जहाँ उसे इतना सम्मान दिया ओर उसे अपने भाव बिकवा दिया दूसरी तरफ खुद को भी दुनिया में आदर का पात्र बना लिया. जब कोई बड़ा आदमी छोटे को गले लगाता है तो परमात्मा ओर दुनिया की नजर में वो महानता का दर्जा हासिल कर लेता है.
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पानी ने भी दूध का दोस्ती के लिए आभार जताया ओर कहा "हे मित्र भगवान ना करे कल को यदि कोई तुम्हारे ऊपर संकट आया तो सबसे पहले में उसे झेलूँगा ओर अपना अस्तित्व तक दाव पर लगा दूंगा अर्थात खुद को मिटाने में संकोच नहीं करूँगा.
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जब दूध को गर्म किया जाता है तो पानी भाप बनकर उड़ना शुरू होता है अर्थात पानी अपने अस्तित्व को खत्म करने पर उतारू हो जाता है . दूध में उफान आता है और दूध ऊपर उठने लगता है और बर्तन से बाहर निकल कर उस तीसरे(आग) को बुझाना चाहता है जो उससे उसके दोस्त को छीनने के लिये जिम्मेदार है परन्तु जैसे ही दूध में पानी का छींटा मारते हैं दूध शांत हो जाता है क्योंकि उसका उसके मित्र से मिलन हो जाता है और दूध खुश हो जाता है.
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दूध और पानी कभी अलग नहीं हो सकते हाँ अगर उसमें दही रुपी खटास डाल दी जाये तो दूध ओर पानी अलग अलग दिखाई देने लगता है और दही बन जाती है यानि दोनों का नाम ही खत्म हो जाता है इसका अर्थ है यदि संबंधो में, प्यार में खटास आ जाये तो मधुर सम्बन्ध खत्म हो जाते हैं. पहले वाला प्यार नहीं रहता.
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यदि कोई दूध के अस्तित्व को खत्म करने पर ही उतारू हो जाये तो पहले पानी भाप बनकर उड़ जाता है अर्थात अपने अस्तित्व खत्म कर देता है फिर दूध अपने मित्र की जुदाई में जलने लगता है और एक अवसर ऐसा भी आता है जब दूध भी अपना अस्तित्व खत्म कर देता और खोया बन जाता है क्योंकि वो अपने मित्र को खो चुका होता है.
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