॥ दादूराम सत्यराम ॥
*"श्री दादूदयाल वाणी(आत्म-दर्शन)"*
टीका ~ महामण्डलेश्वर ब्रह्मनिष्ठ पंडित श्री स्वामी भूरादास जी
साभार विद्युत संस्करण ~ गुरुवर्य महामंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमाराम जी महाराज
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*शूरातन का अंग २४*
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‘‘दादू जीवत मृतक होइ कर, मार्ग माहिं आव’’ इत्यादिक इन सूत्रों के व्याख्यान स्वरूप शूरातन के अंग का निरूपण करते हैं ।
*मंगलाचरण*
*दादू नमो नमो निरंजनं, नमस्कार गुरुदेवतः ।*
*वन्दनं सर्व साधवा, प्रणामं पारंगतः ॥१॥*
टीका ~ निरंजन देव, गुरु, संतों के चरणों में हमारी बारम्बार वन्दना है, क्योंकि जिनकी कृपा से जिज्ञासु शूरातन भाव द्वारा संसार - बन्धन से मुक्त होते हैं ॥१॥
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*शूर सती साधु निर्णय*
*साचा सिर सौं खेलहै, यह साधुजन का काम ।*
*दादू मरणा आसँघै, सोई कहैगा राम ॥२॥*
टीका ~ हे जिज्ञासुओं ! सच्चे शूरवीर संत, आपा रूप अनात्म अहं भाव को त्यागकर, अन्तःकरण की वृत्ति को ब्रह्माकार बनाना ही साधक का काम है । इस प्रकार जो पुरुष जीवत - मृतक अवस्था को अंगीकार करे, वही जन राम का स्मरण करता है ॥२॥
सांई सींत न पाइये, बातों मिलै न कोइ ।
रज्जब सौदा राम से, सिर बिन कदे न होइ ॥
(क्रमशः)
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