卐 सत्यराम सा 卐
ये दिन बीते चल गये, वे दिन आये धाइ ।
राम नाम बिन जीव को, काल गरासै जाइ ॥
जे उपज्या सो विनश है, जे दीसै सो जाइ ।
दादू निर्गुण राम जप, निश्चल चित्त लगाइ ॥
जे उपज्या सो विनश है, कोई थिर न रहाइ ।
दादू बारी आपणी, जे दीसै सो जाइ ॥
दादू सब जग मर मर जात है, अमर उपावणहार ।
रहता रमता राम है, बहता सब संसार ॥
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