रविवार, 22 दिसंबर 2013

= ११८ =


卐 सत्यराम सा 卐
साभार ~ Anitha Rajesh 
Good morning..... :)))))))) 
“Truth can not be suppressed and always is the ultimate victor." 
-the Yajur Veda 
दादू साचा साहिब सेविये, साची सेवा होइ | 
साचा दर्शन पाइये, साचा सेवक सोइ ||१४९|| 
टीका ~ हे जिज्ञासुओं ! निराकार ब्रह्म की निष्काम भाव से उपासना रूपी सेवा कीजिए | तब सच्ची भक्ति होगी | इस प्रकार आराधना करने वाला भक्त ही परमात्मा का सच्चा स्वरूप है ||१४९|| 
‘‘जं सच्चं तं भगवं’’ - जिनवाणी (सत्य ही भगवान् है = सत्यराम) God is truth, truth is God. - बाइबिल 
साचे का साहिब धणी, समर्थ सिरजनहार | 
पाखंड की यहु पृथ्वी, प्रपंच का संसार ||१५०|| 
कहै दादू जन जो कृत धारै, भलो बुरो फल ताही लारै | 
झूठा परगट साचा छानै, तिन की दादू राम न मानै ||१५१|| 
टीका ~ हे जिज्ञासुओं ! सांसारिक वाचक पंडित, शास्त्र के सत्य अर्थ को तो छिपाते हैं और आख्यान पूर्वक माया में प्रवृत्ति कराने वाले विविध अर्थ बनाकर लोक - रंजन करते रहते हैं, परन्तु ऐसे साधनों से परमेश्‍वर प्रसन्न नहीं होता | संत तो भक्ति को भी छिपा कर रखते हैं, तथापि संसारीजन मूर्ति पूजा, तीर्थ, व्रत, सकाम कर्मों को प्रकट कहिए, लोक दिखावे में करते हैं | इसलिये संसारीजनों की सेवा को परमेश्‍वर स्वीकार नहीं करते हैं | परमेश्‍वर के यहाँ सच्चे पुरुषों की सेवा स्वीकार होती है ||१५०/१|| 
(श्री दादू वाणी ~ साँच का अंग)

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