मंगलवार, 17 दिसंबर 2013

= स. त./१०-१ =


*श्री सन्त-गुण-सागरामृत श्री दादूराम कथा अतिपावन गंगा* ~ स्वामी माधवदास जी कृत श्री दादूदयालु जी महाराज का प्राकट्य लीला चरित्र ~ संपादक-प्रकाशक : गुरुवर्य महन्त महामण्डलेश्‍वर संत स्वामी क्षमाराम जी ~
.
*(“सप्तम - तरंग” ८-९)*
*आनन्दराम - माधवदास संवाद*
आदिकथा द्विज को हम बूझ हुं, 
किहिं विधि आप लियो अवतारा ।
किहिं विधि मात पिता - घर त्यागहु, 
यों सुनि नागर मोहि उचारा ।
संत दियो वर, पुत्र हु पावत, 
दादु दयालु भयो सुकुमारा ।
जां विधि मात पिता तजि आपन, 
पूरब बात कही अनुसारा ॥१०॥ 
माधवदास जी लिखते है कि - मैंने विप्र आनन्दरामजी से श्री दादूजी की आदि कथा के विषय में पूछा कि - उन्होंने किस तरह आपके परिवार में अवतार लिया ? माता - पिता एवं घर को किस तरह त्यागा ? यों सुनकर नागर विप्र ने मुझे सम्पूर्ण वृतान्त बताया । संत वरदान द्वारा विप्र लोधीराम जी को पुत्र प्राप्ति, दादूजी की सुकुमार बाल लीलायें, वैराग्य उत्पत्ति के बाद गृह त्याग, माता - पिता की दशा आदि सारी घटनायें विस्तार से बताई ॥१०॥
*आनन्दरामजी ने श्री दादूजी अवतार के बारे में बताया*
आनंदराम कथा वरणी सब, 
जो सब मोहि कही गुरु बाता ।
त्यूं सब नागर भाखि कथा तब, 
अहमदबाद भई जिमि जाता ।
संत सभा - मधि साँभर के बिच, 
स्वामि जु पास कही गुनगाथा ।
यों सुनि के जन होत उछाव हि, 
दीन दयालु सबै सुख दाता ॥११॥ 
विप्र आनंद रामजी ने श्री दादूजी के आविर्भाव अवतार से लेकर गृहत्याग पर्यन्त की विस्तृत कथा संत सभा के बीच साँभर में मुझे बताई थी । गुरुदेव के समक्ष वास्तविक साक्षी के साथ सभी साधु संत भक्त सेवक सज्जनों ने यह वृतान्त सुना । स्वामीजी की गुणगाथा तथा अहमदाबाद लीला प्रसंगों को सुनकर सभी आनन्दित हुये और यह जाना कि - हमारे सुखदाता दीन दयालु गुरुदेव किस तरह जीवोद्धार के लिये अवतरित हुये ॥११॥ 
(क्रमशः) 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें