गुरुवार, 19 दिसंबर 2013

= शूरातन का अंग २४ =(७९/८०)

॥ दादूराम सत्यराम ॥
*"श्री दादूदयाल वाणी(आत्म-दर्शन)"*
टीका ~ महामण्डलेश्वर ब्रह्मनिष्ठ पंडित श्री स्वामी भूरादास जी
साभार विद्युत संस्करण ~ गुरुवर्य महामंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमाराम जी महाराज
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*शूरातन का अंग २४*
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*दादू साचा साहिब शिर ऊपरै, तती न लागै बाव ।*
*चरण कमल की छाया रहै, किया बहुत पसाव ॥७९॥*
टीका ~ हे जिज्ञासुओं ! जिन उत्तम पुरुषों के सिर ऊपर सत्य स्वरूप परमात्मा का इष्ट है, उनको संसार की गर्म हवा भी नहीं लगती है, अर्थात् संसार के कष्ट उनसे दूर ही रहते हैं । इसी प्रकार परमेश्‍वर के अनन्य भक्त संतजन, परमेश्‍वर का स्मरण करके सदैव सुखी रहते हैं ॥७९॥
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*विनती*
*दादू कहै - जे तूं राखै सांइयां, तो मार सकै ना कोइ ।*
*बाल न बांका कर सकै, जे जग बैरी होइ ॥८०॥*
टीका ~ हे परमेश्‍वर ! आप जिनकी रक्षा करो, तो फिर उनको कोई नहीं मार सकता । चाहे सम्पूर्ण जगत उनका शत्रु हो जावे, तो उनका एक रोम भी टेढ़ा नहीं कर सकते ॥८०॥
लाक्षा मन्दिर में रखे, पॉंचों पांडू आप । 
दुर्योधन करी दुष्टता, भगवत मेरी ताप ॥
(क्रमशः)

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