मंगलवार, 31 दिसंबर 2013

कछू न कीजे कामना


卐 सत्यराम सा 卐 
कछू न कीजे कामना, सगुण निर्गुण होहि । 
पलट जीव तैं ब्रह्म गति, सब मिलि मानैं मोहि ॥ 
घट अजरावर ह्वै रहै, बन्धन नांही कोइ । 
मुक्ता चौरासी मिटै, दादू संशय सोइ ॥ 
राम रसिक वांछै नहीं, परम पदारथ चार । 
अठसिधि नव निधि का करै, राता सिरजनहार ॥

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