#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
Elixiaar Wellness ~ THINK !!!
Bitterness is a result of clinging to negative experiences, it serves you no good, it closes the door to your future.
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सत्संगति - कुसंगति
मीठे सौं मीठा भया, खारे सौं खारा ।
दादू ऐसा जीव है, यहु रंग हमारा ॥१८८॥
टीका - हे जिज्ञासुओं ! मिश्री मिलाने से तो जल मीठा होता है और नमक मिलाने से खारा हो जाता है । यही हमारा "रंग" कहिए, हाल है । ऐसे ही जलरूप जीव, मिश्रीरूपी सत्संगति मिलने से ब्रह्मरूप हो जाता है और नमक रूप कुसंग से पामर या खारा हो जाता है । इसलिए सभी को मिश्रीरूप सत्संग करना चाहिए ॥१८८॥
"याति रम्यं अरम्यत्वं स्थिरं अस्थिरतामपि ।
यथा दृष्टं तथा मन्ये याति साधुः असाधुताम् ॥" योगवासिष्ठ
सूत्र: ॐ दुस्संग: सर्वथैव त्याज्यः ।
(मनुष्य को कुसंग का सब प्रकार परित्याग करना चाहिए ।)
मूरख संग न कीजिये, लौहा जल न तिराइ ।
कदली सीप भुजंग मुख, एक बूंद तिहुँ भाइ ॥
(स्वाति बूँद कदली मैं कपूर, सीप में मोती और सर्पमुख में गिरकर विष बन जाती है ।)
"जगन्नाथ" ढ़िंग नीच के, दीरघ लघु हो जाइ ।
ज्यूं गयन्द तन तनिक सा, दर्पण में दरसाइ ॥
(श्री दादू वाणी ~ परिचय का अंग)
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