#daduji
*श्री सन्त-गुण-सागरामृत श्री दादूराम कथा अतिपावन गंगा* ~ स्वामी माधवदास जी कृत श्री दादूदयालु जी महाराज का प्राकट्य लीला चरित्र ~ संपादक-प्रकाशक : गुरुवर्य महन्त महामण्डलेश्वर संत स्वामी क्षमाराम जी ~
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*(“अष्टम - तरंग” ७-८)*
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*जयमल - प्रसंग*
इन्दव छन्द
अम्बपुरी जब तें गुरु आयहु,
*श्री सन्त-गुण-सागरामृत श्री दादूराम कथा अतिपावन गंगा* ~ स्वामी माधवदास जी कृत श्री दादूदयालु जी महाराज का प्राकट्य लीला चरित्र ~ संपादक-प्रकाशक : गुरुवर्य महन्त महामण्डलेश्वर संत स्वामी क्षमाराम जी ~
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*(“अष्टम - तरंग” ७-८)*
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*जयमल - प्रसंग*
इन्दव छन्द
अम्बपुरी जब तें गुरु आयहु,
जैमल - मात सुनी सुधि पाई ।
संत मुकुंद कही जु पूरा कछु,
संत मुकुंद कही जु पूरा कछु,
सो गुरु आवहिं भाग जगाई ।
बेगहु जैमल - मात चली तब,
बेगहु जैमल - मात चली तब,
आय गुरु - ढिग शीश निवाई ।
देखत हर्ष भयो सुत मातहिं,
देखत हर्ष भयो सुत मातहिं,
संत दिपै तप तेज भलाई ॥७॥
जयमल्ल जी की माता ने जब गुरुदेव श्री दादूजी के आमेर आगमन का वृतान्त सुना, तो पूर्वकाल में कथित संत मुकुन्दभारती जी के वचनानुसार अपने भाग्योदय का समय जाना, और पुत्र को साथ लेकर शीध्र ही संत धाम पर पहुँची । चरणों में शीश निवाया । तपोमूर्ति गुरुदेव का दर्शन करते हुये, माता और पुत्र दोनों हर्ष से गद्गद हो गये । तेजस्वी संत को अपलक देखते हुये भाव विभोर हो गये । श्रद्धा भक्ति और प्रेम की त्रिवेणी में डूब से गये जयमल जी और माता दोनो ही श्री दादूजी के दर्शन पाकर भाव विभोर हो गये ॥७॥
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*श्री दादूजी के नाम से ३ करोड़ पचास लाख का उद्धार*
जाँ विधि संत मुकुंद दियो वर,
जयमल्ल जी की माता ने जब गुरुदेव श्री दादूजी के आमेर आगमन का वृतान्त सुना, तो पूर्वकाल में कथित संत मुकुन्दभारती जी के वचनानुसार अपने भाग्योदय का समय जाना, और पुत्र को साथ लेकर शीध्र ही संत धाम पर पहुँची । चरणों में शीश निवाया । तपोमूर्ति गुरुदेव का दर्शन करते हुये, माता और पुत्र दोनों हर्ष से गद्गद हो गये । तेजस्वी संत को अपलक देखते हुये भाव विभोर हो गये । श्रद्धा भक्ति और प्रेम की त्रिवेणी में डूब से गये जयमल जी और माता दोनो ही श्री दादूजी के दर्शन पाकर भाव विभोर हो गये ॥७॥
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*श्री दादूजी के नाम से ३ करोड़ पचास लाख का उद्धार*
जाँ विधि संत मुकुंद दियो वर,
ताँ विधि मात कही सब गाथा ।
तीन करोड़ पचास तिरै लख,
तीन करोड़ पचास तिरै लख,
संत लियो अवतार विख्याता ।
धन्य मुकुंद बताय दियो तब,
धन्य मुकुंद बताय दियो तब,
दीन दयालु सबै सुख दाता ।
संत कही जिम आप पधारत,
संत कही जिम आप पधारत,
श्रीमुख आप कही - सुन माता ॥८॥
अपने भाव - गद्गद हृदय को कुछ संयत करके माता बोली - हे महात्मन् ! संत मुकुन्द - भारती ने मेरे पुत्र जयमल को गुरु प्राप्ति व ज्ञानोपदेश के लिये जो भविष्यवाणी करके वरदान दिया था, वह आज साकार हुआ । आपके अवतार से तीन करोड़ पचास लाख जीवों का उद्धार होगा, वे आपके शरणागत होकर तिर जावेंगे - ऐसा उन्होंने कहा था । और बताया था कि - आप तीस वर्ष बाद आमेर पधारेंगे, जो आज सत्य हुआ । उनके वचनानुसार गुरुप्राप्ति की प्रतीक्षा करते - करते जयमल्ल और मैं आपका ही ध्यान करते रहे । अब इसे ज्ञानोपदेश देकर शिष्य बना लीजिये इस तरह पूर्वकालिक संत मुकुन्द भारती जी के साथ हुआ संवाद - वृतान्त बताने पर स्वामीजी बोले ॥८॥
(क्रमशः)
(क्रमशः)
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