शुक्रवार, 3 जनवरी 2014

= काल का अंग २५ =(२७/२८)

॥ दादूराम सत्यराम ॥
*"श्री दादूदयाल वाणी(आत्म-दर्शन)"*
टीका ~ महामण्डलेश्वर ब्रह्मनिष्ठ पंडित श्री स्वामी भूरादास जी
साभार विद्युत संस्करण ~ गुरुवर्य महामंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमाराम जी महाराज
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*काल का अंग २५*
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*बेग बटाऊ पंथ सिर, अब विलम्ब न कीजे ।*
*दादू बैठा क्या करे, राम जप लीजे ॥२७॥*
टीका ~ हे जिज्ञासु ! रास्ते जाने वाला बटाऊ जल्दी उठ करके अपने रास्ते पर चल पड़ता है । इसी प्रकार अब देर नहीं करना । तूं आवागमन के मार्ग पर बैठा है, अब बैठा - बैठा क्या करता है ? राम - नाम का स्मरण करके जीवन को सार्थक बना ॥२७॥
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*संझ्या चलै उतावला, बटाऊ वन - खंड मांहि ।*
*बरियां नांहीं ढील की, दादू बेगि घर जांहि ॥२८॥*
टीका ~ हे जिज्ञासुओं ! अब तो आयु का उत्तर - काल कहिये, बुढ़ापा आ गया है । अब राम भजन में देर करने का समय नहीं है । जैसे राहगीर बटाऊ, संध्या होते ही वन के मार्ग से शीघ्र चलकर घर आ जाता है । इसी प्रकार उत्तम पुरुष विचार करके, परमेश्वर के नाम - स्मरण द्वारा, इस मनुष्य शऱीर में ही, परमेश्वर को प्राप्त करके काल - कर्म से मुक्त होता है ॥२८॥
(क्रमशः)

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