गुरुवार, 13 फ़रवरी 2014

दादू पूरणहारा पूरसी


卐 सत्यराम सा 卐
दादू पूरणहारा पूरसी, जो चित रहसी ठाम । 
अन्तर तैं हरि उमग सी, सकल निरंतर राम ॥

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