रविवार, 29 जून 2014

= बिनती का अंग ३४ =(२५)


#daduji
॥ दादूराम सत्यराम ॥
*#श्रीदादूदयालवाणी०आत्मदर्शन*
टीका ~ महामण्डलेश्वर ब्रह्मनिष्ठ पंडित श्री स्वामी भूरादास जी
साभार विद्युत संस्करण ~ गुरुवर्य महामंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमाराम जी महाराज
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*बिनती का अंग ३४*
*दादू माया प्रकट ह्वै रही, यों जे होता राम ।* 
*अरस परस मिल खेलते, सब जीव सब ही ठाम ॥२५॥* 
टीका ~ ब्रह्मऋषि दादूदयाल महाराज कहते हैं कि जैसे यह माया और माया का कार्य, अन्तःकरण में प्रगट हो रहा है । इस प्रकार यदि हे राम ! आप प्रगट होते तो, सभी जीव, अन्तःकरण रूपी स्थान में आपसे ओत - प्रोत हो करके ‘खेलते’, अर्थात् आपका स्मरण करते ॥२५॥
(क्रमशः)

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