#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
दादू कहै, जे कुछ दिया हमको, सो सब तुम ही लेहु ।
तुम बिन मन मानै नहीं, दरस आपणां देहु ॥४२॥
दूजा कुछ मांगै नहीं, हमको दे दीदार ।
तूं है तब लग एक टग, दादू के दिलदार ॥४३॥
हे कृपामय प्रभु ! आपने जो कुछ लौकिक विभूति कहिए, ऐश्वर्य हमें दे रखा है, उसको वापिस ही ले लीजिए, क्योंकि आपके वियोग में सांसारिक पदार्थ हमको दु:खरूप प्रतीत होते हैं। इसलिए हम विरहीजनों को तो केवल आपका दर्शन ही चाहिए।
हे प्रभु ! हम आपसे और किसी पदार्थ की भी इच्छा नहीं करते हैं। हमें तो केवल आपका दर्शन ही चाहिए । हे प्यारे ! दिल की जानने वाले दिलदार ! जब तक इस पंच भौतिक शरीर पर आपकी कृपा है, तब तक यह जीवात्मा आपकी भक्ति में ही लयलीन रहे(यही प्रेम है) ॥४२-४३॥
(श्री दादूवाणी~विरह का अंग)
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