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🌷🙏🇮🇳 *卐 सत्यराम सा 卐* 🇮🇳🙏🌷
*श्री सन्त-गुण-सागरामृत श्री दादूराम कथा अतिपावन गंगा* ~
स्वामी माधवदास जी कृत श्री दादूदयालु जी महाराज का प्राकट्य लीला चरित्र ~
संपादक-प्रकाशक : गुरुवर्य महन्त महामण्डलेश्वर संत स्वामी क्षमाराम जी ~
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*(“पंचदशी - तरंग” ४३-४४)*
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*आंधी ग्राम मैं चातुर्मास*
*मनोहर छन्द:*
पठे च्यार गुरु पास, सेवक दामोदर दास,
स्वामीजी बुलाय करो संत संग चाव जू ।
विनती करत तब, आँधी में पधारो अब,
सेवा भाव लखे गुरु तहँ चलि आव जू ।
पूर्ण दास ताराचन्द सेवक आनन्दकन्द,
आँधी पधराये गुरु, मन में उछाव जू ।
साधु संत दादूराम सत्यराम भई धुन,
कियो गुरु चातुर्मास सेवकहिं भाव जू ॥४३॥
सत्संग की चाहना से समीपस्थ आँधी ग्राम के सेवक भक्त दामोदर दास ने चार सेवकों को श्री दादूजी के पास आमेर धाम पर भेजा । उन्होंने आकर सादर निवेदन किया कि - हे गुरुदेव ! दया करके अब आप आँधी ग्राम में पधारो । सत्संग का निवेदन मानकर श्री दादूजी आँधी ग्राम में पधारे । पूर्णदास, ताराचन्द आदि सेवकों ने अतीव श्रद्धा से स्वामीजी का स्वागत किया, यथायोग्य स्थान पर ठहराया । पूरे ग्राम में दादूराम-सत्यराम की ध्वनि छा गई । संत मंडली के आगमन से पूरा वातावरण धर्ममय, आनन्दमय और सत्संगमय हो गया । सेवकों का भाव जानकर स्वामीजी ने वहाँ चातुर्मास सत्संग किया ॥४३॥
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*इन्दव छन्द*
वर्षा न होने से काल की संभावना
काल पड़यो जन जाय दिसावर,
द्वन्द्व मची कहि आप सुनाई ।
सेवक होय दुखी बरषा बिन,
सूखत ताल रु शाख सुखाई ।
यों सुनि आप करी विनती हरि,
बादल होय घटा चहुं आई ।
नीर बहे नदियाँ चलिआवत,
पूरि सरोवर हर्ष मनाई ॥४४॥
आँधी ग्राम में चातुर्मास के समय भयंकर अकाल पड़ा । जन समुदाय घर ग्राम छोड़कर परदेश भागने लगे । सब तरफ हाहाकार मच गई । तब भक्त सेवकों ने श्री दादूजी की शरण में आकर निवेदन किया - हे गुरुदेव ! वर्षा बिना सब ताल सरोवर सूख गये हैं, जनता इस अकाल से बेहाल है । भक्तों की व्यथा सुनकर श्री दादूजी ने ईश्वर से प्रार्थना की । समर्थ प्रभु संत की प्रार्थना से, द्रवित श्री हरि की प्रेरणा से चहुं दिशाओं से घटायें उमड़ने लगी । भरपूर वर्षा से नदियाँ बहने लगीं, सभी सरोवर भर गये ॥४४॥
(क्रमशः)
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