#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
सब कुछ व्यापै राम जी, कुछ छूटा नांही ।
तुम तैं कहाँ छिपाइये, सब देखो मांही ॥
सबल साल मन में रहै, राम बिसर क्यों जाइ ।
यहु दुख दादू क्यों सहै, साँई करो सहाइ ॥
राखणहारा राख तूँ, यहु मन मेरा राखि ।
तुम बिन दूजा को नहीं, साधू बोलैं साखि ॥
माया विषय विकार तैं, मेरा मन भागे ।
सोई कीजे साँईयाँ, तूँ मीठा लागे ॥
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