सोमवार, 7 जुलाई 2014

= षो. त./३७-३९ =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 *卐 सत्यराम सा 卐* 🇮🇳🙏🌷
*श्री सन्त-गुण-सागरामृत श्री दादूराम कथा अतिपावन गंगा* ~
स्वामी माधवदास जी कृत श्री दादूदयालु जी महाराज का प्राकट्य लीला चरित्र ~
संपादक-प्रकाशक : गुरुवर्य महन्त महामण्डलेश्‍वर संत स्वामी क्षमाराम जी ~
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*(“षोडशी तरंग” ३७-३९)*
*सोरठा*
मंडलि संत समाज, दे परिदक्षिण पाद परि ।
बोले गुरु महाराज, प्रात चलो कल्याण पुरि ॥३७॥ 
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*दोहा*
*आमेर से कल्याणपुरी पधारना*
अम्बपुरी वरणीकथा, स्वामी मान सँवाद ।
जो नहिं जाने संत तप, वो नहिं पावत स्वाद ॥३८॥ 
वरण्यों षट्दश तरँग में, अम्बपुरी परसंग ।
जन माधव गुरु प्रात ही, विदा होत शिष संग ॥३९॥ 
प्रात: होने पर गुरुदेव ने आज्ञा फरमायी कि अब - कल्याणपुरी चलना चाहिये । इस तरंग में राजा मानसिंह के साथ स्वामीजी का संवाद वर्णित हुआ है । जो संत का तप: प्रभाव नहीं जानता, उसे इस संवाद का रहस्य आनन्द नहीं मिल सकता । इस सोलहवीं तरंग तक अम्बापुरी के प्रसंगों की कथा निरूपित हुई । माधवदास वर्णन करते हैं कि - अब स्वामीजी आमेर से विदा होकर कल्याणपुरी पधार गये ॥३७ - ३९॥
॥ इति माधवदास विरचिते श्री संतगुण सागरामृत मानसिंह भूप संवाद निरूपण॥
॥ इति षोडशी तरंग संपूर्ण ॥ पूर्वार्द्ध भाग विराम॥

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