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*#श्रीदादूदयालवाणी०आत्मदर्शन*
टीका ~ महामण्डलेश्वर ब्रह्मनिष्ठ पंडित श्री स्वामी भूरादास जी
साभार विद्युत संस्करण ~ गुरुवर्य महामंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमाराम जी महाराज
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*साँई तेरे डर डरूँ, सदा रहूँ भैभीत ।*
*अजा सिंह ज्यों भय घणा, दादू लिया जीत ॥३३॥*
टीका ~ हे परमेश्वर ! जैसे ‘अजा’ कहिए बकरी को सिंह का भय बना रहता है, वैसे ही मेरे अन्तःकरण में मलिन वासना, काम आदि विकार, मिथ्या अहंकार आदि के होने से, आपके डर से मैं सदा भयभीत - सा हो रहा हूँ ॥३३॥
गयो बीरबल बिसर कर, अकबर पाड्यो ठीक ।
ग्राम ग्राम बकरो दियो, बढत न घटत रत्तीक ॥
दृष्टान्त ~ एक समय बीरबल, बादशाह से अलग होकर, जहाँ तहाँ घूमने लगा । बादशाह ने सोचा ~ बीरबल कहाँ गया ? तब बीरबल का पता लगाने के लिये, सब गाँवों के नम्बरदारों को बुलाया, और उनको एक एक बकरा तोल कर दे दिया । बादशाह बोला ~ एक महीने में ये बकरे वापिस लाकर तुलवाना, यदि कोई बकरा बढ़ेगा या घटेगा, तो तुमको दण्ड होगा ।
सब लोग अपने - अपने गाँवों में ले गये । कोई गाँव वाले खूब खिलाने लगे, कोई भूखा रखने लगे । जिस गाँव में बीरबल छुपकर रहते थे, उन गाँव वालों को बीरबल बोले, कि एक सिंह का बच्चा ले आओ और उसको पिंजरे में रखो । फिर बकरे को खूब दाना वगैरा चराओ और थोड़ी देर पिंजरे वाले सिंह का दर्शन करा दो । इसी प्रकार वे एक महीने तक करते रहे ।
जब बादशाह के यहाँ सब नम्बरदार बकरे ले गये और उनके बकरे तुलने लगे, तो किसी का ज्यादा और किसी का कम । परन्तु जिस गाँव में बीरबल था, उस गाँव का बकरा तोल में पूरा उतरा । बादशाह जान गये कि जिस गाँव का यह बकरा है, उस गाँव में बीरबल है । बादशाह ने पूछा ~ यह तुम्हारा बकरा पूरा कैसे उतरा ?
उन्होंने उपरोक्त सब वृत्तान्त सुना दिया । बादशाह बोले ~ यह युक्ति तुमको किसने बतलाई ? नम्बरदार बोला ~ हमारे गाँव में ब्राह्मण आया हुआ है, उसने बताई । बादशाह ने उसको बुलाया । वह बीरबल था । बादशाह को आकर सलाम किया । बादशाह ने कहा ~ बीरबल आप चोर की तरह कहाँ जा छुपे ? बीरबल बोला ~ हुजूर ! चोर के पीछे खोजी भी रहता है ।
(क्रमशः)
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