शनिवार, 19 जुलाई 2014

= बिनती का अंग ३४ =(३७)

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टीका ~ महामण्डलेश्वर ब्रह्मनिष्ठ पंडित श्री स्वामी भूरादास जी
साभार विद्युत संस्करण ~ गुरुवर्य महामंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमाराम जी महाराज
*विनती सागर तरण ~* 
*दादू काया नाव समंद में, औघट बूड़े आइ ।* 
*इहि अवसर एक अगाध बिन, दादू कौन सहाइ ॥३७॥* 
टीका ~ हे परमेश्वर ! यह हमारी कायरूपी नौका है । इस संसार - समुद्र में उबड़ - खाबड़ घाटों में डूब रही है । हे नाथ ! इस भयंकर समय में आपके बिना कौन हमारी रक्षा करे ? हमारे तो केवल आपका ही आधार है ॥३७॥
(क्रमशः)

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