मंगलवार, 1 जुलाई 2014

दादू काया कटोरा दूध मन

卐 सत्यराम सा 卐 

दादू काया कटोरा दूध मन, प्रेम प्रीति सों पाइ ।
हरि साहिब इहि विधि अंचवै, वेगा वार न लाइ ॥ 
दादू माता प्रेम का, रस में रह्या समाइ ।
अन्त न आवै जब लगै, तब लग पीवत जाइ ॥ 
राम रटणि छाड़ै नहीं, हरि लै लागा जाइ ।
बीचैं ही अटकै नहीं, कला कोटि दिखलाइ ॥ 
दादू हरि रस पीवतां, कबहुँ अरुचि न होइ ।
पीवत प्यासा नित नवा, पीवणहारा सोइ ॥

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