#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
वैरी मारे मरि गये, चित तैं विसरे नांहि ।दादू अजहूँ साल है, समझ देख मन मांहि ॥
दादू तो तूं पावै पीव को, जे जीवित मृतक होइ ।
आप गँवाये पीव मिलै, जानत हैं सब कोइ ॥
दादू तो तूं पावै पीव का, आपा कुछ न जान ।
आपा जिस तैं ऊपजै, सोई सहज पिछान ॥
दादू तो तूं पावै पीव को, मैं मेरा सब खोइ ।
मैं मेरा सहजैं गया, तब निर्मल दर्शन होइ ॥
मैं ही मेरे पोट सिर, मरिये ताके भार ।
दादू गुरु प्रसाद सौं, सिर तैं धरी उतार ॥
मेरे आगे मैं खड़ा, ता तैं रह्या लुकाइ ।
दादू प्रकट पीव है, जे यहु आपा जाइ ॥
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