शुक्रवार, 29 अगस्त 2014

*सीकरी प्रसंग दशम दिन(२)*

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साभार ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
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*सीकरी प्रसंग दशम दिन(२)*
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पद सुनकर तुलसी ब्राह्मण अपनी आशा को अपूर्ण जान कर लौट गया । बादशाह ने कुसंग के प्रभाव से प्रभावित होकर दादूजी की शक्ति देखने की योजन बनाई । अपने दरबार को पूर्णरूप से भर जाने पर वीरबल के द्वारा, दादूजी की बुलवाया । वीरबल दादूजी की योगशक्ति को जानता था, अतः उसे अकबर के षड्यंत्र से कु़छ भी चिन्ता नहीं थी ।
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दादूजी ने अपनी योग शक्ति से अकबर बादशाह का षड्यंत्र पहले ही जान लिया था, फिर दादूजी ने प्रभु का ध्यान किया तब ध्यान में प्रभु की आज्ञा मिल गई कि तुम बादशाह के दरबार में निशंक जाओ । दादूजी ने वीरबल को कहा - तुम चलो, हम आते हैं । वीरबल ने जाकर सूचना दी उसी समय दादूजी भी कु़छ शिष्यों के साथ दरबार में पहुंच गये ।
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दादूजी ने वहां की स्थिति देखकर प्रभु से कहा -
*ज्यों यहु समझै त्यों कहो, यहु जीव अज्ञानी ।*
*जेती बाबा तैं कही, इन इक न मानी ॥२७॥*
दादू परचा(चमत्कार) मांगे लोक सब,
कह हम को कु़छ दिखलाय ।
समर्थ मेरा सांइयां, ज्यों समझे त्यों समझाय ॥२७॥
(समर्थता अंग २१)
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उक्त साखियां उच्चारण करते ही ईश्वर ने दरबार के मध्य आकाश में तेज पुंजमय एक तखत स्थित करके दादूजी को उस पर बैठा दिया और शिष्यों को दादूजी के पीछे तखत पर खड़ा कर दिया । वह तखत पृथ्वी को स्पर्श नहीं कर रहा था । बादशाह के सम्मुख अधर आकाश में स्थित सबको दूसरे सूर्य के समान भास रहा था ।
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उसे देखकर अकबर बादशाह अपने तख़त से नीचे उतर कर पृथ्वी पर आकर बोला - करामात कहर(भयंकर) है भारी । काजी मुल्ला आदि भी बोले - हम मुरीद तुम पीर हमारे । फिर तेजोमय तख़त अदृश्य हो गया । दादूजी बादशाह के तख़त पर विराज गये ।
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उसे अद्भुत चमत्कार से बादशाह का अज्ञानांधकार नष्ट हो गया । उसने कहा - मेरी आशा पूर्ण हो गई, मानो मुझे खुदा ही मिल गये । मैंने काजी मुल्लाओं के कहने से भ्रम में पड़कर यह सब किया था किन्तु अब मैं आपको गुरु ही मानता हूं ।
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तब दादूजी ने कहा -
चोर न भावे चांदणा, जनि उजियारा होय ।
सुते का सब धन हरुं, मुझे न देखे कोय ॥१६८॥
सूरज साक्षी भूत है, सांच करे सु प्रकाश ।
चोर डरे चोरी करे, रैणि तिमिर का नाश ॥१६७॥
(साँच अंग १३)
फिर बादशाह अकबर ने दादूजी की स्तुति की सो श्रीदादूचरितामृत के पृष्ठ ४०८ में देखें । यहां तो दादूवाणी के प्रसंग ही लिखे जाते हैं ।

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