शनिवार, 30 अगस्त 2014

= विनती का अँग ३४ =(७८)

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टीका ~ महामण्डलेश्वर ब्रह्मनिष्ठ पंडित श्री स्वामी भूरादास जी
साभार विद्युत संस्करण ~ गुरुवर्य महामंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमाराम जी महाराज
*विनती का अँग ३४* 
साहिब सौं मिल खेलते, होता प्रेम सनेह । 
प्रकट दर्शन देखते, दादू सुखिया देह ॥७८॥ 
टीका ~ हे विरहीजनों ! यदि हमारे अन्तःकरण में परमेश्वर का, विरह के सहित पूर्ण प्रेम होता, तो हम विरहीजन, परमेश्वर का प्रकट दर्शन पाकर अपने शरीर में सुखी होते ॥७८॥
(क्रमशः)

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