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*श्री सन्त-गुण-सागरामृत श्री दादूराम कथा अतिपावन गंगा* ~
स्वामी माधवदास जी कृत श्री दादूदयालु जी महाराज का प्राकट्य लीला चरित्र ~
संपादक-प्रकाशक : गुरुवर्य महन्त महामण्डलेश्वर संत स्वामी क्षमाराम जी ~
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*(“एकोनविंशति तरंग” २१-२२)*
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*त्योदू ग्राम - सेवक शिष्य*
*मनोहर छन्द*
जस्साजी शंकरदास बावन में शिष्य खास,
सिन्धु बनमाली पीपा परमानन्द व्यास जू ।
भगवान कृष्णदास, जोधाजी दयाल दास,
ये नौ शिष्य जान जन, सोवन में भास जू ।
तोलाराम केशोराम, दुबरियां सु बालराम,
सुखानन्द रम्भाबाई सेवकहिं पास जू ।
‘त्योदू’ - में उछाव कीन्हें, सब उपदेश सुने,
मोरड़े पधारे आप, भगति उजास जू ॥२१॥
कुछ समय पश्चात् श्री दादूजी सेवकों के आग्रह पर त्योदू ग्राम में पधारे । वहाँ नौ भक्त गुरुदेव के शिष्य बने । जस्सी, शंकरदास, की गणना तो बावन शिष्यों में हुई । सिन्धुदास, बनमाली, पीपावंशी परमानन्द, भगवानदास, कृष्णदास जोधादास, दयालदास की गणना सौ शिष्यों में हुई । अन्य सेवक भी शिष्य बने, जो इस प्रकार हैं - तोलाराम, केशवराम, दुबरिया ग्राम के बालराम, सुखानन्द, रम्भा बाई । त्योदू ग्राम में बहुत विशाल संत सम्मेलन हुआ । संत उपदेश से सब धन्य हुये । पश्चात् गुरुदेव भक्ति का प्रकाश फैलाने मोरड़े ग्राम में पधारे ॥२१॥
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*मोरड़ा ग्राम - भक्त सेवक*
प्रहलाद पीपा खेता, पादु में कल्याण केता,
तिवारी केशव दूधा, रामदास जानिये ।
दामोदर धर्मदास माधव रू ब्रह्मदास,
पूरण रू लक्ष्मीराम जस्सा भक्त मानिये ।
सब उपदेश सुनि, पूरण है भाव मन,
भाव ही सों सेवा करे, आप सुख ठानिये ।
जस्सा है पटेल ज्ञानी, त्यागी निज सभी जानि,
भक्ति भगवंत करि दादूजी को जानिये ॥२२॥
मोरड़ा ग्राम में प्रहलाद, पीपा, खेताराम, पादु निवासी कल्याण, केता तिवारी, केशव, दूधाराम, रामदास, दामोदर, धर्मदास, माधवदास, ब्रह्मदास, पूरण, लक्ष्मीराम, जस्सा भक्त आदि अनेक सेवक श्री दादूजी के ज्ञानोपदेश से कृतार्थ हुये । पटेल जस्साभक्त ने गुरुदेव का ज्ञानोपदेश पाकर अपनी पत्नी का सांसारिक संसर्ग छोड़ दिया, और भगवद्भक्ति करते हुये गुरुदेव में श्रद्धा रखने लगा ॥२२॥
(क्रमशः)
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