🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
🌷 *#श्रीदादूवाणी०प्रवचनपद्धति* 🌷
https://www.facebook.com/DADUVANI
साभार ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
.
*सीकरी प्रसंग नवम दिन*
.
९ वें दिन बादशाह की गोवध निषैध आज्ञा से क्षुब्ध होकर काजी, मुल्ला आदि मुसलमान रुष्ट होकर बादशाह के पास गये और बोले - आपने एक हिन्दू साधु के कहने से गोवध बन्द कर दिया यह अच्छा नहीं किया, उसकी कोई करामात तो देखी होती । उन लोगों ने आज दादूजी के विपरीत बातें कहकर बादशाह को दादूजी के सत्संग से वंचित कर दिया ।
.
बादशाह की बुद्धि फिर गई । आमेर नरेश भगवतदास को जब दादूजी के विपरीत षड़यंत्र का पता चला तब वह दादूजी के पास जाकर बोले - आप बादशाह के पास राम न बोलकर खुदा, अल्लाह ही बोलें तो बादशाह आपके विपरीत कु़छ नहीं करेगा । तब दादूजी ने कहा -
.
*जे हम छाडैं राम को, तो कौन गहेगा ।*
*दादू हम नहिं उच्चरें, तो कौन कहेगा ॥१४५॥*
एक राम छाडैं नहीं, छाडैं सकल विकार ।
दूजा सहजें होय सब, दादू का मत सार ॥१५९॥
(सांच अंग १३)
इत्यादि साखियां सुनाकर दादूजी ने आमेर नरेश को कहा - तुम कु़छ भी विचार नहीं करो, वे लोग हमारा कु़छ भी बिगाड़ नहीं सकते । हमारे रक्षक राम हैं ।
.
फिर जोधपुर नरेश उदयसिंह ने दादूजी के पास जाकर कहा - स्वामिन् ! आप शीघ्र ही मारवाड़ पधार जायें मैं सब प्रबन्ध कर देता हूं । मुसलमान सब विपरीत हो गये हैं । उदयसिंह के उक्त वचन सुनकर दादूजी ने कहा -
.
दादू महाजोध मोटा बली, सो सदा हमारी भीर ।
सब जग रुठा क्या करे, जहां तहां रणधीर ॥६७॥
दादू कांधे सबल के, निर्वाहेगा और ।
आसन अपने ले चला, दादू निश्चल ठौर ॥६९॥
(शूरानतन अंग २४)
.
उक्त साखियां सुनाकर जोधपुर नरेश को समझा दिया । फिर करोली नरेश भी आया और बोला स्वामिन्! बादशाह और सब मुसलमान आप से रुष्ट हो गये है जिससे वे सब नाराज हुये हैं उस भूल को हम सुधार लें तो आगे कष्ट नहीं होगा । दादूजी ने कहा - न तो अपनी कोई भूल है और उनके रुष्ट होने से अपनी कोई हानि भी नहीं है फिर कहा -
.
जिनको सांई पाधरा(सीधा) तिन बंका नहिं कोय ।
सब जग रुठा क्या करे, राखणहार सोय ॥७७॥
दादू सांचा साहिब शिर ऊपरै, ताती न लागे वाव ।
चरण कमल की छाया रहै, कीया बहुत पसाव ॥७५॥
(शूरातन अंग २४)
उक्त साखियां सुनकर करोली नरेश भी समझ गये कि ये तो उच्चकोटि के संत हैं इनका कोई क्या बिगाड़ सकता है ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें