#daduji
||दादूराम सत्यराम||
खुशी तुम्हारी त्यों करो, हम तो मानी हार ।
भावै बन्दा बख्शिए, भावै गह कर मार ॥ ८१ ॥
टीका ~ हे स्वामिन् ! जैसी आपकी इच्छा हो, वैसा ही आप हमारे साथ बर्ताव करें । हम तो सब प्रकार आपके सामने हार मान चुके हैं, क्योंकि हमने भारी - भारी अपराध किये हैं । चाहे तो आप, हमको अपने अपराधी सेवक जानकर, हमारे अवगुणों को माफ करिये और चाहे आप हमको पकड़कर मारिये, सजा दीजिये । हम तो सब प्रकार आपके सामने हताश हो रहे हैं ॥ ८१ ॥
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