रविवार, 28 सितंबर 2014

= एक विं. त. २७/८ =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 *卐 सत्यराम सा 卐* 🇮🇳🙏🌷
https://www.facebook.com/DADUVANI
*श्री सन्त-गुण-सागरामृत श्री दादूराम कथा अतिपावन गंगा* ~
स्वामी माधवदास जी कृत श्री दादूदयालु जी महाराज का प्राकट्य लीला चरित्र ~
संपादक-प्रकाशक : गुरुवर्य महन्त महामण्डलेश्‍वर संत स्वामी क्षमाराम जी ~
.
*(“एकविंशति तरंग” २७/२८)*
*दोहा* 
*श्री दादूजी मंदिर में ३ दिन विराजे चित्राम गुप्त किये -* 
संत विराजे तीन दिन, मंदिर श्री रघुनाथ । 
भित्ति चित्र बाधा भजन, लुप्त किये धरि हाथ ॥२७॥ 
संतों को नगर के मुख्य मन्दिर(श्री रघुनाथ जी के मन्दिर) में ठहराया गया । संत वहाँ तीन दिन विराजे । मन्दिर के भित्ति चित्रों की सुन्दरता को देखने वहाँ बहुत जन आते थे, कोलाहल करते थे । अत: राम - भजन में बाधा होती थी । समर्थ संत श्री दादूजी ने एक शब्द उच्चारण किया, “गोविन्दा गायबा देरे, आडड़ी आन निवार” यह शब्द पूरा होते ही सारे मन्दिर के चित्राम गायब हो गये राजा नारायण सिंह जी ने देखा कहा गुरुदेव वह सारे चित्राम २४ अवतारों के जो थे सो सारे कहाँ गायब हो गये, तब श्री दादूजी ने कहा भजन में लोगों के सोर गुल से बाधा पड़ती थी परमात्मा ने लुप्त कर दिये अब नहीं दिखेंगे । राजा ने बड़ा आश्‍चर्य किया ॥२७॥ 
*श्री दादूजी त्रीपोलीया पर विराजे -* 
भोजन पाय चले गुरु संतजु, 
आय त्रिपोलहिं आप विराजे । 
जोरत पाणि कही तब भूपति, 
धाम कहाँ गुरुद्वारहिं साजे । 
आप बतावहु स्थान यथारुचि, 
मन्दिर धाम बनावन काजे । 
संत कहें - हरि ध्यान लगावहुँ, 
आयसु होवत धाम बनाजे ॥२८॥ 
भोजन प्रसाद पाकर गुरुदेव संत मंडली सहित पुन: त्रिपोलिया स्थान पर आ गये । तब वहाँ आकर राजा ने हाथ जोड़कर निवेदन किया हे गुरुदेव ! आप किस स्थान पर विराजना चाहते हैं, अपनी रुचि अनुसार स्थान का निर्देश करें, वहाँ गुरुद्वारा बनवा दिया जायेगा । तब श्रीदादूजी ने कहा - ध्यान के समय श्रीहरि की जैसी आज्ञा होगी, बता दी जाएगी, फिर धाम बनवा देना ॥२८॥ 
(क्रमशः)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें