सोमवार, 29 सितंबर 2014

छाड़ै सुरति शरीर को

#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
छाड़ै सुरति शरीर को, तेज पुंज में आइ ।
दादू ऐसे मिल रहै, ज्यों जल जलहि समाइ ॥
यों मन तजै शरीर को, ज्यों जागत सो जाइ ।
दादू बिसरै देखतां, सहज सदा ल्यौ लाइ ॥
जिहि आसन पहली प्राण था, तिहि आसन ल्यौ लाइ ।
जे कुछ था सोई भया, कछू न व्यापै आइ ॥
तन मन अपणा हाथ कर, ताहि सौं ल्यौ लाइ ।
दादू निर्गुण राम सौं, ज्यों जल जलहि समाइ ॥

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