मंगलवार, 2 सितंबर 2014

= विनती का अँग ३४ =(८१)

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टीका ~ महामण्डलेश्वर ब्रह्मनिष्ठ पंडित श्री स्वामी भूरादास जी
साभार विद्युत संस्करण ~ गुरुवर्य महामंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमाराम जी महाराज
*विनती का अँग ३४* 
*खुशी तुम्हारी त्यों करो, हम तो मानी हार ।*
*भावै बन्दा बख्शिए, भावै गह कर मार ॥८१॥*
टीका ~ हे स्वामिन् ! जैसी आपकी इच्छा हो, वैसा ही आप हमारे साथ बर्ताव करें । हम तो सब प्रकार आपके सामने हार मान चुके हैं, क्योंकि हमने भारी - भारी अपराध किये हैं । चाहे तो आप, हमको अपने अपराधी सेवक जानकर, हमारे अवगुणों को माफ करिये और चाहे आप हमको पकड़कर मारिये, सजा दीजिये । हम तो सब प्रकार आपके सामने हताश हो रहे हैं ॥८१॥ 
(क्रमशः)

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