गुरुवार, 23 अक्टूबर 2014

दादू कहाँ मुहम्मद मीर था

#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
दादू कहाँ मुहम्मद मीर था, सब नबियों सिरताज ।
सो भी मर माटी हुवा, अमर अलह का राज ॥ 
केते मर मांटी भये, बहुत बड़े बलवन्त ।
दादू केते ह्वै गये, दाना देव अनन्त ॥ 
दादू धरती करते एक डग, दरिया करते फाल ।
हाकों पर्वत फाड़ते, सो भी खाये काल ॥ 
दादू सब जग कंपै काल तैं, ब्रह्मा विष्णु महेश ।
सुर नर मुनिजन लोक सब, स्वर्ग रसातल शेष ॥ 
चंद, सूर, धर, पवन, जल, ब्रह्मांड खंड प्रवेश ।
सो काल डरै करतार तैं, जै जै तुम आदेश ॥
पवना, पानी, धरती, अंबर, विनशै रवि, शशि, तारा ।
पंत तत्त्व सब माया विनशै, मानुष कहा विचारा ॥

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