परमगुरु ब्रह्मर्षि श्री दादूदयाल जी महाराज की अनुभव वाणी
गुरुवार, 6 नवंबर 2014
#daduji दादू लै लागी तब जाणिये, जे कबहुँ छूट न जाइ । जीवत यों लागी रहै, मूवां मंझ समाइ ॥ दादू जे नर प्राणी लै गता, सोई गत ह्वै जाइ । जे नर प्राणी लै रता, सो सहजैं रहै समाइ ॥ सब तज गुण आकार के, निश्चल मन ल्यौ लाइ । आत्म चेतन प्रेम रस, दादू रहै समाइ ॥
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