#daduji
छाड़ै सुरति शरीर को, तेज पुंज में आइ ।
दादू ऐसैं मिल रहै, ज्यों जल जलहि समाइ ॥
सुरति रूप शरीर का, पीव के परसे होइ ।
दादू तन मन एक रस, सुमिरण कहिये सोइ ॥
राम कहत राम ही रह्या, आप विसर्जन होइ ।
मन पवना पंचों विलै, दादू सुमिरण सोइ ॥
जहँ आतम राम संभालिये, तहँ दूजा नांही और ।
देही आगे अगम है, दादू सूक्ष्म ठौर ॥
छाड़ै सुरति शरीर को, तेज पुंज में आइ ।
दादू ऐसैं मिल रहै, ज्यों जल जलहि समाइ ॥
सुरति रूप शरीर का, पीव के परसे होइ ।
दादू तन मन एक रस, सुमिरण कहिये सोइ ॥
राम कहत राम ही रह्या, आप विसर्जन होइ ।
मन पवना पंचों विलै, दादू सुमिरण सोइ ॥
जहँ आतम राम संभालिये, तहँ दूजा नांही और ।
देही आगे अगम है, दादू सूक्ष्म ठौर ॥

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