#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
शूरा चढ़ संग्राम को, पाछा पग क्यों देहि ?
साहिब लाजै भाजतां, धृग् जीवन दादू तेहि ॥
सेवक शूरा राम का, सोई कहेगा राम ।
दादू सूर सन्मुख रहै, नहिं कायर का काम ॥
कायर काम न आवही, यहु शूरे का खेत ।
तन मन सौंपै राम को, दादू शीश सहेत ॥
जब लग लालच जीव का, तब लग निर्भैय हुआ न जाइ ।
काया माया मन तजै, तब चौड़े रहै बजाइ ॥
दादू चौड़े में आनन्द है, नाम धर्या रणजीत ।
साहिब अपना कर लिया, अन्तरगत की प्रीति ॥
---------------------------------------------------
स्वामी विवेकानन्द जन्म जयंति की सभी मित्रोको शुभकामनाये
सुप्रभात.....
आप सभी का दिन मंगलमय हो

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें