मंगलवार, 11 नवंबर 2014

*राव को उपदेश प्रसंग*

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साभार ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
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*राव को उपदेश प्रसंग*
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१४४. झपताल
मना, जप राम नाम कहिये ।
राम नाम मन विश्राम, संगी सो गहिये ॥टेक॥
जाग जाग सोवे कहा, काल कंध तेरे ।
बारम्बार कर पुकार, आवत दिन नेरे ॥१॥
सोवत सोवत जन्म बीते, अजहूँ न जीव जागे ।
राम सँभार नींद निवार, जन्म जुरा लागे ॥२॥
आस पास भरम बँध्यो, नारी गृह मेरा ।
अंत काल छाड़ चल्यो, कोई नहिं तेरा ॥३॥
तज काम क्रोध मोह माया, राम राम करणा ।
जब लग जीव प्राण पिंड, दादू गहि शरणा ॥४॥
राणी ग्राम से कोदू ग्राम का राव अपने ग्राम में दादूजी को ले आया था ।
उस राव को उक्त १४४ के पद से दादूजी के शिष्य हो गये थे । अपना समय भजन में ही लगाते थे ।

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