#daduji
दादू शब्दैं बँध्या सब रहै, शब्दैं ही सब जाइ ।
शब्दैं ही सब ऊपजै, शब्दैं सबै समाइ ॥
दादू शब्दैं ही सचु पाइये, शब्दैं ही संतोंख ।
शब्दैं ही सुस्थिर भया, शब्दैं भागा शोक ॥
दादू शब्दैं ही सूक्ष्म भया, शब्दैं सहज समान ।
शब्दैं ही निर्गुण मिले, शब्दैं निर्मल ज्ञान ॥
दादू शब्दैं ही मुक्ता भया, शब्दैं समझे प्राण ।
शब्दैं ही सूझे सबै, शब्दैं सुरझे जाण ॥
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शब्द- परमात्मा की श्रेष्ठ कृति है।
शब्द- परमात्मा की अनुकृति है।
शब्द- लिपि के वस्त्र पहन कागज पर उभर जाते हैं।
शब्द- नाद का श्रृँगार कर जिह्वा से उच्चारित हो जाते हैं।
शब्द- मष्तिष्क में उमड़ते-घुमड़ते हैं और रच डालते हैं महाग्रंथ।
शब्द- कभी हँसते है कभी गाते हैं कभी गुमसुम उदास हो जाते है।
शब्द- ज़ख्म भी है मरहम भी है।
शब्द- कभी दवा है तो कभी दुआ हैं।
शब्द- मधु की तरह मीठे है तो कभी हलाहल से कड़वे हैं।
शब्द- शीतल बयार हैं महकता प्यार हैं।
शब्द- कभी रोष हैं कभी आक्रोष हैं।
शब्द- हमको हँसाते-रुलाते है कभी पुचकारते-दुलराते हैं।
शब्द- नाद हैं,
शब्द- निनाद हैं,
शब्द- ब्रह्म हैं,
शब्द- परब्रह्म हैं।।
------- जय गोपाल कृष्ण...!!

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