#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
*दादू राम रसाइन नित चवै,*
*हरि है हीरा साथ ।*
*सो धन मेरे साइयां,*
*अलख खजाना हाथ ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ स्मरण का अंग)*
https://youtu.be/XUxXTQ0aRIc
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साभार : Osho Prem Sandesh ~
आनंद चाहते हो? आलोक चाहते हो ? तो सबसे पहले अंतस में खोजो। जो वहां खोजता है, उसे फिर और कहीं नहीं खोजना पड़ता है। और, जो वहां नहीं खोजता, वह खोजता ही रहता है, किंतु पता नहीं है। एक भिखारी था। वह जीवन भर एक ही स्थान पर बैठ कर भीख मांगता रहा।
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धनवान बनने की उसकी बढ़ी प्रबल इच्छा थी। उसने बहुत भीख मांगी। पर, भीख मांग-मांग कर क्या कोई धनवान हुआ है ? वह भिखारी था, सो भिखारी ही रहा। वह जिया भी भिखारी और मरा भी भिखारी। जब वह मरा तो उसके कफन के लायक भी पूरे पैसे उसके पास नहीं थे !
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उसके मर जाने पर उसका झोंपड़ा तोड़ दिया गया और वह जमीन साफ की गई। उस सफाई में ज्ञात हुआ कि वह जिस जगह बैठकर जीवन भर भीख मांगता रहा, उसके ठीक नीचे भारी खजाना गड़ा हुआ था।
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मैं प्रत्येक से पूछना चाहता हूं कि क्या हम भी ऐसे ही भिखारी नहीं हैं? क्या प्रत्येक के भीतर ही वह खजाना नहीं छिपा हुआ है, जिसे कि हम जीवन भर बाहर खोजते रहते हैं !
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इसके पूर्व कि शांति और संपदा की तलाश में तुम्हारी यात्रा प्रारंभ हो, सबसे पहले उस जगह को खोद लेना, जहां कि तुम खड़े हो। क्योंकि, बड़े से बड़े खोजियों और यात्रियों ने सारी दुनिया में भटक कर अंतत: खजाना वहीं पाया है।
(सौजन्य से : ओशो इंटरनेशनल फाउंडेशन)

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