#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
पंथ चलैं ते प्राणिया, तेता कुल व्यवहार ।
निर्पख साधु सो सही, जिनके एक अधार ॥
दादू पंथों पड़ गये, बपुरे बारह बाट ।
इनके संग न जाइये, उलटा अविगत घाट ॥
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अशोकानंद भरद्वाज ~
ज्ञानी कहतें हैं की अज्ञानता के कारण ही मानव जाति अनेक सीमित संप्रदायों, वादों व क्षेत्र की संकीर्णताओं में बंटी हुई है। इस तरह की संकीर्णता ही मनुष्य के दुखों की जड़ है। इसलिए इंसान दुखी है एक परमब्रम्ह को जानकर ही इंसान चित की स्वतंत्रता अनुभव कर सकता है। जब चित की स्वतंत्रता आती है, तब चित की सरलता भी साथ-साथ आनी शुरू हो जाती है। इस के बाद चित की शून्यता आती है और इसान के जीवन में सुरज रूपी प्रकाश होना शुरू हो जाता है। हरी ॐ।

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