#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
योग समाधि सुख सुरति सौं, सहजैं सहजैं आव ।
मुक्ता द्वारा महल का, इहै भक्ति का भाव ॥
*(श्री दादूवाणी ~ लै का अंग)*
https://youtu.be/mGMsc4sJ3Z0
===============
@Yog Shaurya ~ ध्यान :
- ध्यान परमात्मा को पाने की प्रक्रिया नहीं है। परमात्मा तो बिना ध्यान के भी पाया जा सकता है। ध्यान परमात्मा को झेलने का अभ्यास है। ध्यान पात्रता देता है कि तुम परम ऊर्जा को झेल सको।
.
असत्य में भटके हो इतने दिन तक कि तुम्हारी आंखें असत्य की आदी हो गई हैं। सत्य का आघात तुम्हें तोड़ सकता है, विक्षिप्त कर सकता है। परमात्मा के, सत्य के बहुत खोजी पागल हो गए हैं।
.
सत्य के बहुत खोजी ठीक उस दशा के करीब, जब परमहंस होने को होते हैं, तभी पागल हो जाते हैं, विक्षिप्त हो जाते हैं। क्योंकि परमात्मा इतना विराट है, सत्य की घटना इतनी बड़ी है, अविश्वसनीय है कि तुम अवाक रह जाओगे।
.
यह ऐसा है जैसे पूरा आकाश टूट पड़े तुम पर, छोटा तुम्हारा पात्र है और विराट तुम्हारे पात्र पर बरस जाए। तुम अस्तव्यस्त हो जाओगे। तुम सम्हाल न पाओगे। जैसे सूरज एकदम सामने आ जाए और तुम्हारी आंखें झकपका जाएं, धुंधलका हो जाए। इसलिए तो ध्यान की तैयारी करनी पड़ती है। ध्यान पात्रता देता है कि तुम विराट को झेल सको। ------osho

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें