#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
दादू साधु जन सुखिया भये, दुनिया को बहु द्वन्द्व ।
दुनी दुखी हम देखतां, साधुन सदा आनन्द ॥
दादू देखत हम सुखी, सांई के संग लाग ।
यों सो सुखिया होयगा, जाके पूरे भाग ॥
दादू मीठा पीवै राम रस, सो भी मीठा होइ ।
सहजैं कड़वा मिट गया, दादू निर्विष सोइ ॥
===========================
भाग्यवान और अभागे कौन हैं ?
आज जिसको अपना मानकर छाती से लगाया जाता है वही कल हाथ से निकल कर पराया हो जाता है । यहाँ कोई वस्तु ऐसी है ही नहीं जो सदा हमारे साथ रहे । या तो वह चली जाती हैं या उसे छोड़कर हम चले जाते हैं ।तुम्हारे पास आज धन है और कभी-कभी, मैं देखता हूँ तुम्हें उस धन का अभिमान भी होता है ।
.
लोग तुम्हें भाग्यवान कहते हैं तो तुम्हें बड़ा सुख मिलता है । परन्तु भैया ! सच पूछो तो धन से कोई भी 'भाग्यवान' नहीं होता । संसार के धन, मान, प्रतिष्ठा, अधिकार सभी कुछ हों और हों भी प्रचुर परिमाण में, परन्तु मन यदि भगवान् के श्रीचरणों में न लगा हो तो वस्तुत: वह 'अभागा' ही है ।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें